रिश्ते

समय की मार में

जो बदल जायें

वे रिश्ते नहीं होते।

रिश्ते क्या होते है

तब ही समझ पाते हैं

जब वे

बदल जाते हैं।

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अफ़सोस 

कि हम 

बदलते रिश्तों की सूरत

समझ नहीं पाते

और  आजीवन

बिखरे रिश्तों को

ढोते रहते हैं।

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समय की चोट

रिश्तों को

बार&बार

नया नाम दे देती है

और हम नासमझ

पुराने नामों के साथ ही

उन्हें

आजीवन ढोते रहते हैं।

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टूटे]

रिश्तों को

छोड़ने की

हिम्मत नहीं करते

इस कारण

रोज़]

हर रोज़ मरते हैं।

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