वास्वविकता और छल

हमारे आस-घूमते हैं

बहुत सारे शब्द घूमते हैं

जीवन को साधते हैं

सत्य वास्वविकता और छल

जीवन में साथ-साथ चलते हैं

अक्सर पर्यायवाची-से लगते हैं।

जो हमारे हित में हो

वह सत्य और वास्तविकता

कहलाता है

जहां हम छले जायें

चाहे वह जीवन की

वास्तविकता और सत्य ही

क्यों हो

हमारे लिए छल ही होता है।