आवाज़ ऊँची कर
आवाज़ ऊँची कर
चिल्ला मत।
बात साफ़ कर
शोर मचा मत।
अपनी बात कह
दूसरे की दबा मत।
कौन है गूँगा
कौन है बहरा
मुझे सुना मत।
सबकी आवाज़ें
जब साथ बोलेंगीं
तब कान फ़टेंगें
मुझे बता मत।
धरा की बातें
अकारण
आकाश पर उड़ा मत।
जीने का अंदाज़ बदल
बेवजह अकड़
दिखा मत।
मिलजुलकर बात करें
तू बीच में
अपनी टाँग अड़ा मत।
मिल-बैठकर खाते हैं
गाते हैं
ढोल बजाते हैं
तू अब नखरे दिखा मत।