धैर्य
सब्र का इम्तहान लेते हो
फिर पूछते हो
रूठे-रूठे-से क्यों रहते हो।
यदि कभी कहा नहीं मैंने
कोई नाराज़गी नहीं जताई
इसका मतलब यह तो नहीं
कि तुम्हारी बातों से
मैंने चोट नहीं खाई।
सब्र का इम्तहान लेते हो
फिर पूछते हो
रूठे-रूठे-से क्यों रहते हो।
यदि कभी कहा नहीं मैंने
कोई नाराज़गी नहीं जताई
इसका मतलब यह तो नहीं
कि तुम्हारी बातों से
मैंने चोट नहीं खाई।