इतिहास हमारा

इतिहास हमारा स्वर्णिम था, या था समस्याओं का काल

किसने देखा, किसने जाना, बस पढ़ा-सुना कुछ हाल

गल्प कथाओं से भरा, सत्य है या कल्पना कौन कहे

यूँ ही लड़ते-फिरते हैं, निकाल रहे बस बाल की खाल