सड़कों पर सागर बना

 सड़कों पर सागर बना, देख रहे हम हक्के-बक्के

बूंद-बूंद को मन तरसे, घर में पानी भर-भर के

कितने घर डूब गये, राहों पर खड़े देख रहे

कैसे बढ़े ज़िन्दगी, सोच-सोचकर नयन तरस रहे।