नूतन श्रृंगार

इस रूप-श्रृंगार की

क्या बात करें।

नारी के

नूतन श्रृंगार की

क्या बात करें।

नयन मूॅंदकर

हाथ बांधकर

कहाॅं चली।

माथ है बिन्दी

कान में घंटा।

हाथ कंगन सर्पाकार,

सजे आलता,

गल हार पहन

कहाॅं चली।

यह नूतन सज्जा

मन मोहे मेरा,

किसने अभिनव रूप

सजाया तेरा

कौन है सज्जाकार।

नमन करुॅं मैं बारम्बार ।