मन रमता है

बारिश की बूंदें

धीरे-धीरे

मन को छूती हैं

कामनाओं का

संसार उमड़ता है

हवाओं संग

उड़ान भरती हूँ

धरा-गगन सब

मदमग्न मेरे साथ

इस एकान्त में

मन रमता है

अपने मन से

जुड़ता है।