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कक्षा 4 का विद्यार्थी सहज, छोटा-सा, मात्र 7-8 वर्ष का। स्कूल से अनायास उसके माता-पिता को फोन जाता है, तत्काल स्कूल पहुंचने का। दोनों घबराये कहीं बच्चे के साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई।
गेट से ही उन्हें लगा कोई गम्भीर घटना घटी है, प्रधानाचार्या के कार्यालय तक पहुंचते-पहुंचते पता नहीं कितने चेहरे क्या-क्या कह रहे थे। वहीं पर सहज खड़ा था रूंआसा-सा, उसकी दो-तीन अध्यापिकाएं पूरे गुस्से में।
सहज असमंसज-भाव में सबके चेहरे देख रहा था कि वह यहां क्यों खड़ा है और क्या हुआ है। उसे तो यही पता था कि प्रधानाचार्या के कमरे में तो बच्चों को पुरस्कार देने के लिए ही बुलाया जाता है।
“ देखिए , आपके आठ साल के बच्चे के हाल! क्या सिखाते हैं आप अपने बच्चे को। आज ही यह हाल है तो बड़ा होकर क्या करेगा? ऐेसे बच्चों को हम स्कूल में नहीं रख सकते।’’
लेकिन मैडम हुआ क्या’’
“ ये लीजिए, आपके होनहार बेटे ने अपनी क्लास की एक लड़की को ये प्यार का संदेश दिया। पढ़िए आप ही। और पूछिए इससे।’’
माता-पिता के हाथ में अपने बेटे सहज के हाथ की लिखी एक छोट-सी पर्ची थी जिस पर लिखा था ‘‘आई लव यू आभा’’।
‘‘आपने बात की क्या इससे।’’
“ जी, नहीं बात क्या करनी, दिखाई नहीं दे रहा कि आपके बच्चे की कैसी सोच है? “
माता-पिता हतप्रभ। कभी एक-दूसरे का चेहरा देखें तो कभी सहज का, जो उत्सुक-सा सबको देख रहा था।
‘‘पूछना चाहिए था आपको, इतनी-सी बात को इतना बड़ा बना देने से पहले। हम तो डर ही गये थे।’’
‘‘लीजिए, आपके सामने मैं ही पूछती हूं ।’’
‘‘सहज, तुम आभा से प्यार करते हो’’
यैस, मम्मी।
क्यों?
मम्मी, आभा बहुत अच्छी है, हर समय हंसती रहती है, अपना लंच भी मुझे देती है, हम साथ ही बैठते हैं, और आप और मैडम भी तो कहते हैं लव आॅल। आप मुझे कितनी बार कहती हैं लव यू बेटू। पापा भी कहते हैं। मेरी मैडम भी कहती है, आई लव यू आॅल।
स्कूल में और आप भी तो यही कहते हैं सबसे प्यार करो, आप मेरा बैग देखो, मैंने तो बहुत से दोस्तों के लिए भी लिख कर रखा है लव यू।
मम्मी मैंने कुछ गलत कर दिया क्या?
सब निरूत्तर थे ।
मैं नहीं जानती कि उसके बाद सहज के साथ क्या हुआ, किन्तु इतना जानती हूं कि जब तक कोई नया गाॅसिप नहीं आ गया, दिनों तक स्कूल में इसी घटना की चर्चा रही कि आजकल इतने छोटे बच्चों के ये हाल हैं तो बड़े होकर क्या करेंगे।
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