डर-डरकर ज़िन्दगी नहीं चलती

डर-डरकर ज़िन्दगी नहीं चलती यह जान ले सखी

उठ हाथ थाम, आगे बढ़, साथ छोड़ेंगे रे सखी

घन छा रहे, रात घिर आई, नदी-नीर बैठ अब

नया सोच, चल ज़िन्दगी की राहों को बदलें रे सखी