जिन्दगी किसी धार से कम नहीं
जिन्दगी
यूँ भी किसी धार से कम नहीं
ये कटार, छुरी तलवार क्या करेंगे।
कांटों भरी रही हैं राहें
ये कुछ हथियार क्या करेंगे।
न देखना मेरा चेहरा
न पूछना मुझसे कुछ
अब इस हाल में
किसी से हिसाब-किताब करके क्या करेंगे।
किसने मारा, किसने लगाये थे निशाने
अब आप जानकर क्या करेंगे।
रक्त की धार मत देखना
न देखना जख़्मों की गहराई
बस हाल-चाल पूछ लेना
इससे ज़्यादा जानकर क्या करेंगे।