जीवन

बात करते-करते मन अक्सर बुझ-सा जाता है

कभी आंखों में तरलता का आभास हो जाता है

तुम्हारी कड़वाहटें अन्तर्मन को झकझकोरती हैं

न जाने जीवन में ऐसा अक्सर क्यों हो जाता है