चलो खिचड़ी पकाएॅं

वैसे तो

रोगियों का भोजन है

खिचड़ी,

स्वादहीन,

कोई खाना नहीं चाहता।

किन्तु जब

हमारे-तुम्हारे बीच पकती है

कोई खिचड़ी

तो सारी दुनिया के कान

खड़े हो जाते हैं,

मुहॅं का स्वाद

चटपटा हो जाता है

कहानियाॅं बनती हैं

मिर्च-मसाले से

जिह्वा जलने लगती है,

घूमने लगते हैं आस-पास

जाने-अनजाने लोग।

क्या पकाया, क्या पकाया?

अब क्या बताएॅं

तुम भी आ जाओ

हमारे गुट में

मिल-बैठ नई खिचड़ी पकायेंगे।