काश ! होता कोई ऐसा !!!
कोई है क्या ऐसा
जीवन में
जिसे हम भूलना चाहें
किन्तु भूल नहीं पाते।
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कोई है क्या ऐसा
जिसकी याद तो आती है
किन्तु आधी-अधूरी।
स्मृतियों के पृष्ठ पलटते हैं
किन्तु तस्वीर नज़र नहीं आती।
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कोई है क्या ऐसा
जो मन की दीवारों से टकराता है
रोज़ द्वार खटखटाता है
किन्तु नाम याद नहीं आता।
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कोई है क्या ऐसा
जिसे रोज़ पीटने को मन करता है
किन्तु जब दिखता है
तो प्यार हो आता है।
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कोई है क्या ऐसा
जो बार-बार रास्ता काटता है
किन्तु नज़र नहीं आता।
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कोई है क्या ऐसा
जो अच्छा भी है बुरा भी
सांस भी है, आस भी
विरक्ति भी है , आसक्ति भी,
आवाज़ भी है, शून्यता भी
आंसू भी है और हास भी।
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काश ! होता कोई ऐसा !!!