अब मैं शर्मिंदा नहीं होता
अब मैं शर्मिंदा नहीं होता
जब कोई मेरी फ़ोटो खींचता है
मुझे ऐसे-वैसे बैठने
पोज़ बनाने के लिए कहता है।
हाँ, कार्य में व्यवधान आता है
मेरी रोज़ी-रोटी पर
सवाल आता है।
कैमरे के सामने पूछते हैं मुझसे
क्या तुम स्कूल नहीं जाते
तुम्हारे माँ-बाप तुम्हें नहीं पढ़ाते
क्या बाप तुम्हारा कमाता नहीं
अपनी कमाई घर लाता नहीं
कहीं शराब तो पीता-पिलाता नहीं
तुम्हारी माँ को मारता-वारता तो नहीं
अनाथ हो या सनाथ
और कितने भाई-बहन हो
ले जायेगी तुम्हें पुलिस पकड़कर
बाल-श्रम के बारे में क्या जानते हो
किसे अपना माई-बाप मानते हो
सरकारी योजनाओं को जानते हो
उनका लाभ उठाते हो
पूछते-पूछते
उनकी फ़ोटू पूरी हो जाती है
दस रुपये पकड़ाते हैं
और चले जाते हैं
मैं उजबुक-सा बना देखता रह जाता हूँ
और काम पर लौट आता हूँ।