कैसे आया बसन्त

बसन्त यूँ ही नहीं आ जाता

कि वर्ष, तिथि, दिन बदले

और लीजिए

आ गया बसन्त।

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मन के उपवन में

सुमधुर भावों की रिमझिम

कुछ ओस की बूंदें बहकीं

कुछ खुशबू कुछ रंगों के संग

कहीं दूर कोयल कूक उठी।