कर लो नारी पर वार

जब कुछ न लिखने को मिले तो कर लो नारी पर वार।

वाह-वाही भरपूर मिलेगी, वैसे समझते उसको लाचार।

कल तक माँ-माँ लिख नहीं अघाते थे सारे साहित्यकार

आज उसी में खोट दिखे, समझती देखो पति को दास

पत्नी भी माँ है क्यों कभी नहीं देख पाते हो तुम

यदि माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजा, किसका है यह दोष

परिवारों में निर्णय पर हावी होते सदा पुरुष के भाव

जब मन में आता है कर लेते नारी के चरित्र पर प्रहार।

लिखने से पहले मुड़ अपनी पत्नी पर दृष्टि डालें एक बार ।

अपने बच्चों की माँ के मान की भी सोच लिया करो कभी कभार