कड़ी धूप हो या छाया
हालात कैसे भी रहें
हमें मुस्कुराना आता है।
तुम कुछ भी कहो
हमें ठहाके लगाना आता है।
गहरी उमस के बाद
बरसात होती है
धरा से उठती है मीठी सुगंध
मन में फिर भी उदासी छाती है।
जानते हैं
आंसुओं की कोई कीमत नहीं होती
इसलिए हमें
आंखों से भी मुस्कुराना आता है।
कदम-दर-कदम बढा़ती हूँ मैं
जान चुकी हूँ
कि राहों में नहीं कोई अपना मिलेगा
किसी से सहारा नहीं मांगती मैं
बिना सहारे अब चलना आता है।
उमस और बरसात तो आनी-जानी है
कड़ी धूप हो या छाया
सबका सामना करने का मन बन गया है
अब हमें
ज़िन्दगी के आरोपों से टकराना आता है।