हाथ जब भरोसे के जुड़ते हैं

हाथ

जब भरोसे के

जुड़ते हैं

तब धरा, आकाश

जल-थल

सब साथ देते हैं

परछाईयाँ भी

संग-संग चलती हैं

जल किलोल करता है

कदम थिरकने लगते हैं

सूरज राह दिखाता है

जीवन रंगीनियों से

सराबोर हो जाता है,

नितान्त निस्पृह

अपने-आप में खो जाता है।