सृजनकर्ता का आभार

उस सृजनकर्ता का

आभार व्यक्त नहीं कर पाती मैं

जिसने इतने सुन्दर,

मोहक संसार की रचना की।

उस आनन्द को

व्यक्त नहीं कर सकती मैं

जो इस सृष्टिकर्ता ने

हमें दिया।

उससे ही मिले

आकाश को विस्तार देकर

गर्वोन्नत होने लगते हैं हम।

उससे मिली अमूल्य धरोहर को

अपना कहकर

अधिकार जमाने लगते हैं हम।

भूल जाते हैं उसे।

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किन्तु नहीं जानते

कब जीवन में सब

उलट-पुलट हो जायेगा,

खाली हो जायेंगे हाथ।

और ये खाली हाथ

जुड़ जायेंगे

उसकी सत्ता स्वीकार करते हुए।