शक्ति-स्वरूपा

दिव्य आलोकित रूप तुम्हारा मन हर्षित करता है

हाथों में त्रिशूल देखकर मन में साहस भरता है

भोली-सी मुस्कान तुम्हारी आशीष की भांति लगती है

शक्ति-स्वरूपा हो तुम, अरि भी तुमसे डरता है।