विश्व-शांति के लिए

विश्व-शांति के लिए

बनाने पड़ते हैं आयुध

रचनी पड़ती हैं कूटनीतियाँ

धर्म, जाति

और देश के नाम पर

बाँटना पड़ता है,

चिननी पड़ती हैं

संदेह की दीवारें

अपनी सुरक्षा के नाम पर

युद्धों का

आह्वान करना पड़ता है

देश की रक्षा की

सौगन्ध उठाकर

झोंक दिये जाते हैं

युद्धों में

अनजान, अपरिचित,

किसी एक की लालसा,

महत्वाकांक्षा

ले डूबती है

पूरी मानवता

पूरा इतिहास।