ज्योति प्रज्वलित है

क्यों ढूंढते हो दीप तले अंधेरा जब ज्योति प्रज्वलित है

 क्यों देखते हो मुड़कर पीछे, जब सामने प्रशस्त पथ है

जीवन में अमा और पूर्णिमा का आवागमन नियत है

अंधेरे में भी आंख खुली रखें ज़रा, प्रकाश की दमक सरस है