तू अपने मन की कर

चाहे कितना काम करें, कोर-कसर तो रहती है

दुनिया का काम है कहना, कहती ही रहती है

तू अपने मन की कर, तू अपने मन से कर

कोई क्या कहता है, चिन्ता जाती रहती है।