अपनेपन की कामना

रेशम की डोरी

कोमल भावों से बंधी

बन्धन नहीं होती,

प्रतिदान की

लालसा भी नहीं होती।

बस होती है तो

एक चाह, एक आशा

अपनेपन की कामना

नेह की धारा।

बस, जुड़े रहें

मन से मन के तार,

दुख-सुख की धार

बहती रहे,

अपनेपन का एहसास

बना रहे।

लेन-देन की न कोई बात हो

न आस हो

बस

रिश्तों का एहसास हो।