जीवन के रंग

द्वार पर आहट हुई,

कुछ रंग खड़े थे

कुछ रंग उदास-से पड़े थे।

मैंने पूछा

कहां रहे पूरे साल ?

बोले,

हम तो यहीं थे

तुम्हारे आस-पास।

बस तुम ही

तारीखें गिनते हो,

दिन परखते हो,

तब खुशियां मनाते हो

मानों प्रायोजित-सी

हर दिन होली-सा देखो

हर रात दीपावली जगमगाओ

जीवन में रंगों की आहट पकड़ो।

हां, जीवन के रंग बहुत हैं

कभी ग़म, कभी खुशी

के संग बहुत हैं,

पर ये आना-जाना तो लगा रहेगा

बस जीवन में

रंगों की हर आहट  पकड़ो।

हर दिन होली-सा रंगीन मिलेगा

हर दिन जीवन का रंग खिलेगा।

बस

मन से रंगों की हर आहट पकड़ो।