रंगों की पोटली
अस्ताचल को जाते
रवि ने
रंगों की पोटली
खोल दी।
आंखों में
कुछ रंग उतर गये
कुछ बहक गये
कुछ महक गये
कुछ कुमकुम-से चहक गये
मानों नवजीवन मिला।
भोर में लौटकर आया
फिर कुछ नये रंग लाया
मन भरमाया।
जीवन में रंग मिलते रहें
और क्या चाहिए भला।