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जान लें हम सर्वगुण सम्पन्न तो यहां कोई नहीं होता
अच्छाई-बुराई सब साथ चले, मन यूं ही दुख में रोता
राम-रावण जीवन्त हैं यहां, किस-किस की बात करें
अन्तद्र्वन्द्व में जी रहे, नहीं जानते, कौन कहां सजग होता
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तिरंगे का एहसास
जब हम दोनों
साथ खड़े होते हैं
तब
तिरंगे का
एहसास होता है।
केसरिया
सफ़ेद और हरा
मानों
साथ-साथ चलते हैं
बाहों में बाहें डाले।
चलो, यूँ ही
आगे बढ़ते हैं
अपने इस मैत्री-भाव को
अमर करते हैं।
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नयन क्यों भीगे
मन के उद्गारों को कलम उचित शब्द अक्सर दे नहीं पाती
नयन क्यों भीगे, यह बात कलम कभी समझ नहीं पाती
धूप-छांव तो आनी-जानी है हर पल, हर दिन जीवन में
इतनी सी बात क्यों इस पगले मन को समझ नहीं आती
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शक्ल हमारी अच्छी है
शक्ल हमारी अच्छी है, बस अपनी नज़र बदल लो तुम।
अक्ल हमारी अच्छी है, बस अपनी समझ बदल लो तुम।
जानते हो, पर न जाने क्यों न मानते हो, हम अच्छे हैं,
मित्रता हमारी अच्छी है, बस अपनी अकड़ बदल लो तुम।
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जीवन का आनन्द ले
प्रकृति ने पुकारा मुझे,
खुली हवाओं ने
दिया सहारा मुझे,
चल बाहर आ
दिल बहला
न डर
जीवन का आनन्द ले
सुख के कुछ पल जी ले।
वृक्षों की लहराती लताएँ
मन बहलाती हैं
हरीतिमा मन के भावों को
सहला-सहला जाती है।
मन यूँ ही भावनाओं के
झूले झूलता है
कभी हँसता, कभी गुनगुनाता है।
गुनगुनी धूप
माथ सहला जाती है
एक मीठी खुमारी के साथ
मानों जीवन को गतिमान कर जाती है।
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अपने कर्मों पर रख पकड़
चाहे न याद कर किसी को
पर अपने कर्मों से डर
न कर पूजा किसी की
पर अपने कर्मों पर रख पकड़ ।
न आराधना के गीत गा किसी के
बस मन में शुद्ध भाव ला ।
हाथ जोड़ प्रणाम कर
सद्भाव दे,
मन में एक विश्वास
और आस दे।
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कड़वा-कड़वा देते रहना
नीम करेले का रस पी ले
हंस-बोलकर जीवन जी ले
कड़वा-कड़वा देते रहना
खट्टे की खुद चटनी पी ले
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बाधाएं राहों से कैसे हटतीं
विनम्रता से सदा दुनिया नहीं चलती।
समझौतों से सदा बात यहां नहीं बनती।
हम रोते हैं, जग हंसता है ताने कसता है,
आंख दिखा, तभी राहों से बाधाएं हैं हटतीं।
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कुर्सियां
भूल हो गई मुझसे
मैं पूछ बैठी
कुर्सी की
चार टांगें क्यों होती हैं?
हम आराम से
दो पैरों पर चलकर
जीवन बिता लेते हैं
तो कुर्सी की
चार टांगें क्यों होती हैं?
कुर्सियां झूलती हैं।
कुर्सियां झूमती हैं।
कुर्सियां नाचती हैं।
कुर्सियां घूमती हैं।
चेहरे बदलती हैं,
आकार-प्रकार बांटती हैं,
पहियों पर दौड़ती हैं।
अनोखी होती हैं कुर्सियां।
किन्तु
चार टांगें क्यों होती हैं?
जिनसे पूछा
वे रुष्ट हुए
बोले,
तुम्हें अपनी दो
सलामत चाहिए कि नहीं !
दो और नहीं मिलेंगीं
और कुर्सी की तो
कभी भी नहीं मिलेंगी।
मैं डर गई
और मैंने कहा
कि मैं दो पर ही ठीक हूँ
मुझे चौपाया नहीं बनना।
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बड़ा मुश्किल है Very Difficult
बड़ा मुश्किल है नाम कमाना
मेहनत का फल किसने जाना
बाधाएँ आती हैं आनी ही हैं
किसने राहें रोकी, भूल जाना
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संगीतकार हूं मैं
एक मधुर संगीतकार हूं कोई तो मुझको सुन लो जी।
टर्र टर्र करता हूं एक नया राग है तुम गुन लो जी।
हरी भरी बगिया में बैठा हूं गीता गाता हूं आनन्दित हूं,
गायन प्रतियोगिता के लिए मुझसे एक नई धुन लो जी।