मन गीत गुने

मृदंग बजे

सुर-साज सजे

मन-मीत मिले

मन गीत गुने

निर्जन वन में

वन-फूल खिले

अबोल बोले

मन-भाव बने

इस निर्जन में

इस कथा कहे

अमर प्रेम की