Share Me
बहुत बड़ा है जगत,
फिर भी कुछ सीढ़ियां चढ़कर
एक गुरूर में
अक्सर कह बैठते हैं हम
दुनिया मेरी मुट्ठी में।
सम्बन्ध रिस रहे हैं,
भाव बिखर रहे हैं,
सांसे थम रही हैं,
दूरियां बढ़ रही हैं।
अक्सर विपदाओं में
साथ खड़े होते हैं,
किन्तु यहां सब मुंह फेर पड़े हैं।
सच कहें तो लगता है,
न तेरे वश में, न मेरे वश में,
समझ से बाहर की बात हो गई है।
समय पर चेतते नहीं।
अब हाथ जोड़ें,
या प्रार्थनाएं करें,
बस देखते रहने भर की बात हो गई है।
Share Me
Write a comment
More Articles
एक मुस्कान हो जाये
देर से
तुम्हें निहारते निहारते
मेरे जीवन में भी
रंग करवट लेने लगे है।।
इस में
अपनों से
मन की बात कह ली हो
तो चलो
एक उड़ान हो जाये
एक मुस्कान हो जाये
बस यूं
गुमसुम गुमसुम न बैठो।
Share Me
तीर खोज रही मैं
गहरे सागर के अंतस में
तीर खोज रही मैं।
ठहरा-ठहरा-सा सागर है,
ठिठका-ठिठका-सा जल।
कुछ परछाईयां झलक रहीं,
नीरवता में डूबा हर पल।
-
चकित हूं मैं,
कैसे द्युतिमान जल है,
लहरें आलोकित हो रहीं,
तुम संग हो मेरे
क्या यह तुम्हारा अक्स है?
Share Me
चल मन आज भीग लेते हैं ज़रा
चल मन आज भीग लेते हैं ज़रा
हवाओं का रूख देख लेते हैं ज़रा
धरा भी नम होकर स्वागत कर रही
हटा आवरण, हवाओं संग उड़ते हैं ज़रा
Share Me
ज़िन्दगी बहुत झूले झुलाती है
ज़िन्दगी बहुत झूले झुलाती है
कभी आगे,कभी पीछे ले जाती है
जोश में कभी ज़्यादा उंचाई ले लें
तो सीधे धराशायी भी कर जाती है
Share Me
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
यह मुहावरा सुना तो बहुत बार था किन्तु कभी इसकी गुणवत्ता की ओर ध्यान ही नहीं गया। धन्यवाद इस मंच का जिसने इस मुहावरे की महत्ता एवं विशेषताओं पर चिन्तन करने का अवसर प्रदान किया।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे!!
वाह!!
इसका अर्थ यह है कि जो कुशल होगा वही तो पर को अर्थात अन्य को बहुत सारे उपदेश दे सकेगा। जो कुशल ही नहीं है वह किसी को क्या उपदेश देगा और क्या मार्ग-दर्शन करेगा।
हम जीवन में कोई भी कार्य करते हैं हमारी जवाबदेही तय होती है। घर-परिवार में, समाज में, नौकरी में, कार्यालय में, व्यवसाय में, सड़क पर चलते हुए, हर जगह, हर जगह। हानि-लाभ, अच्छा-बुरा, खरा-खोटा, उत्तर-प्रति-उत्तर, लिखित, मौखिक। हम बच नहीं पाते।
किन्तु उपदेश देने में किसी उत्तरदायित्व का वहन नहीं होता। आप उपदेश दीजिए, चाय-नाश्ता लीजिए और निकल लीजिए। किन्तु ध्यान रहे कि न तो अपने घर बुलाकर उपदेश दीजिए और न किसी उपवन-बात में। जिसे उपदेश देना हो सीधे उसके घर जाकर ही स्थापित रहिए। उपदेशात्मक संस्था खोल लीजिए, दान-दक्षिणा लीजिए, दिल खोलकर परामर्श दीजिए।
किन्तु बस पहले से ही बचने का उपाय बांधकर चलिए।
कुछ ऐसे ‘‘ देखिए मैं तो अपने मन से एक अच्छा परामर्श आपको दे रहा हूँ /दे रही हूँ, यह तो आप पर और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि फ़लित हो। और आपकी मनोभावनाओं का भी इस पर प्रभाव रहेगा। बस कोई कमी नहीं रहनी चाहिए हमारे बताये उपाय में। ’’
और जब आपका बताया परामर्श फ़लित न हो तो आपके पास पहले से ही तैयार उत्तर होगा कि ‘‘देखिए मैंने तो पहले ही कहा था कि मन से कीजिएगा, अथवा आपने कोई न कोई विधि तो छोड़ दी होगी। ’’
और साथ ही कुछ अगली सलाहें परोस दीजिए।। और आप जब अपना समय दे रहे हैं, दिमाग़ दे रहे हैं तो कुछ न कुछ मूल्य तो लेंगे ही, चाहे अच्छा चाय-पानी ही।
किन्तु यह उपदेश मैं आप सब मित्रों को दे रही हूँ, मेरे अपने लिए नहीं है।
Share Me
अतिथि तुम तिथि देकर आना
शीत बहुत है, अतिथि तुम तिथि देकर आना
रेवड़ी, मूगफ़ली, गचक अच्छे से लेकर आना
लोहड़ी आने वाली है, खिचड़ी भी पकनी है
पकाकर हम ही खिलाएंगे, जल्दी-जल्दी जाना
Share Me
दैवीय सौन्दर्य
रंगों की शोखियों से
मन चंचल हुआ।
रक्त वर्ण संग
बासन्तिका,
मानों हवा में लहरें
किलोल कर रहीं।
आंखें अपलक
निहारतीं।
काश!
यहीं,
इसी सौन्दर्य में
ठहर जाये सब।
कहते हैं
क्षणभंगुर है जीवन।
स्वीकार है
यह क्षणभंगुर जीवन,
इस दैवीय सौन्दर्य के साथ।
Share Me
आदान-प्रदान का युग है
जरूरी नहीं कि शिखर पर बैठा हर इंसान उत्थान का प्रतीक हो
जाने कौन-सी सीढ़ियां चढ़ा, कहां पग धरा, अनुगमन की लीक हो
पद, पदक, सम्मान, उपाधियाँ सदा उपलब्धियों की प्रतीक नहीं होते
आदान-प्रदान का युग है, ले-देकर काम चल रहा, यही सीख हो
Share Me
जिन्दगी के अफ़साने
लहरों पर डूबेंगे उतरेंगे, फिर घाट पर मिलेंगे
झंझावात है, भंवर है सब पार कर चलेंगे
मत सोच मन कि साथ दे रहा है कोई या नहीं
बस चलाचल,जिन्दगी के अफ़साने यूं ही बनेंगे
Share Me
प्यार का नाता
एक प्यार का नाता है, विश्वास का नाता है
भाई-बहन से मान करता, अपनापन भाता है
दूर रहकर भी नज़दीकियाँ यूँ बनी रहें सदा
जब याद आती है, आँख में पानी भर आता है