कुहुक-कुहुक करती

चीं चीं चीं चीं करती दिन भर, चुपकर दाना पानी लाई हूं, ले खा

निकलेंगे तेरे भी पंख सुनहरे लम्बी कलगी, चल अब खोखर में जा

उड़ना सिखलाउंगी, झूमेंगे फिर डाली-डाली, नीड़ नया बनायेंगे

कुहुक-कुहुक करती, फुदक-फुदक घूमेगी, अब मेरी जान न खा