किसकी डोर किसके हाथ

कहां समझे हैं हम, 

जीवन की सच्‍चाईयों और

चित्रों में बहुत अन्‍तर होता है।

कठपुतली नाच और

जीवन के रंगमंच के

नाटक का

अन्‍त अलग-अलग होता है।

स्‍वप्‍न और सत्‍य में

धरा-आकाश का अन्‍तर होता है।

इस चित्र को देखकर मन बहला लो ।

कटाक्ष और व्‍यंग्‍य का

पटल बड़ा होता है।

किसकी डोर किसके हाथ

यह कहां पता होता है।

कहने और लिखने की बात और है,

जीवन का सत्‍य क्‍या है,

यह सबको पता होता है ।