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नीली चादर तान कर अम्बर देर तक सोया पाया गया
चंदा-तारे निर्भीक घूमते रहे,प्रकाश-तम कहीं आया-गया
प्रात हुई, भागे चंदा-तारे,रवि ने आहट की,तब उठ बैठा,
इन्द्रधनुषी रंग बिखेरे, देखो तो, फिर मुस्काता पाया गया
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जब बजता था डमरू
कहलाते शिव भोले-भाले थे
पर गरल उन्होंने पिया था
नरमुण्डों की माला पहने,
विषधर उनके आभूषण थे
भूत-प्रेत-पिशाच संगी-साथी
त्रिशूल हाथ में लिया था
त्रिनेत्र खोल जब बजता था डमरू
तीनों लोकों के दुष्टों का
संहार उन्होंने किया था
चन्द्र विराज जटा पर,
भागीरथी को जटा में रोक
विश्व को गंगामयी किया था।
भांग-धतूरा सेवन करते
भभूत लगाये रहते थे।
जग से क्या लेना-देना
सुदूर पर्वत पर रहते थे।
* * * *
अद्भुत थे तुम शिव
नहीं जानती
कितनी कथाएं सत्य हैं
और कितनी कपोल-कल्पित
किन्तु जो भी हैं बांधती हैं मुझे।
* * * * *
तुम्हारी कथाओं से
बस
तुम्हारा त्रिनेत्र, डमरू
और त्रिशूल चाहिए मुझे
शेष मैं देख लूंगी ।
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औरत होती है एक किताब
औरत होती है एक किताब।
सबको चाहिए
पुरानी, नई, जैसी भी।
अपनी-अपनी ज़रूरत
अपनी-अपनी पसन्द।
उस एक किताब की
अपने अनुसार
बनवा लेते हैं
कई प्रतियाँ,
नामकरण करते हैं
बड़े सम्मान से।
सबका अपना-अपना अधिकार
उपयोग का
अपना-अपना तरीका
अदला-बदली भी चलती है।
कुछ पृष्ठ कोरे रखे जाते है
इस किताब में
अपनी मनमर्ज़ी का
लिखने के लिए।
और जब चाहे
फाड़ दिये जाते हैं कुछ पृष्ठ।
सब मालिकाना हक़
जताते हैं इस किताब पर,
किन्तु कीमत के नाम पर
सब चुप्पी साध जाते हैं।
सबसे बड़ा आश्चर्य यह
कि पढ़ता कोई नहीं
इस किताब को
दावा सब करते हैं।
उपयोगी-अनुपयोगी की
बहस चलती रहती है
दिन-रात।
वैसे कोई रैसिपी की
किताब तो नहीं होती यह
किन्तु सबसे ज़्यादा
काम यहीं आती है।
अपने-आप में
एक पूरा युग जीती है
यह किताब
हर पन्ने पर
लिखा होता है
युगों का हिसाब।
अद्भुत है यह किताब
अपने-आपको ही पढ़ती है
समझने की कोशिश करती है
पर कहाँ समझ पाती है।
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खैरात में मिले, नाम बाप के मिले
शिक्षा की मांग कीजिए, प्रशिक्षण की मांग कीजिए, तभी बात बन पायेगी
खैरात में मिले, नाम बाप के मिले, कोई नौकरी, न बात कभी बन पायेगी
मन-मन्दिर में न अपनेपन की, न प्रेम-प्यार की, न मधुर भाव की रचना है
द्वेष-कलह,वैर-भाव,मार-काट,लाठी-बल्लम से कभी,कहीं न बात बन पायेगी
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सरस-सरस लगती है ज़िन्दगी
जल सी भीगी-भीगी है ज़िन्दगी
कहीं सरल, कहीं धीमे-धीमे
आगे बढ़ती है ज़िन्दगी।
तरल-तरल भाव सी
बहकती है ज़िन्दगी
राहों में धार-सी बहती है ज़िन्दगी
चलें हिल-मिल
कितनी सुहावनी लगती है ज़िन्दगी
किसी और से क्या लेना
जब आप हैं हमारे साथ ज़िन्दगी
आज भीग ले अन्तर्मन,
कदम-दर-कदम
मिलाकर चलना सिखाती है ज़िन्दगी
राहें सूनी हैं तो क्या,
तुम साथ हो
तब सरस-सरस लगती है ज़िन्दगी।
आगे बढ़ते रहें
तो आप ही खुलने लगती हैं मंजिलें ज़िन्दगी
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अपने-आपसे करते हैं हम फ़रेब
अपने-आपसे करते हैं
हम फ़रेब
जब झूठ का
पर्दाफ़ाश नहीं करते।
किसी के धोखे को
सहन कर जाते हैं,
जब हँसकर
सह लेते हैं
किसी के अपशब्द।
हमारी सच्चाई
ईमानदारी का
जब कोई अपमान करता है
और हम
मन मसोसकर
रह जाते हैं
कोई प्रतिवाद नहीं करते।
हमारी राहों में
जब कोई कंकड़ बिछाता है
हम
अपनी ही भूल समझकर
चले रहते हैं
रक्त-रंजित।
औरों के फ़रेब पर
तालियाँ पीटते हैं
और अपने नाम पर
शर्मिंदा होते हैं।
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इंसान की फ़ितरत
देखो रोशनी से कतराने लगे हैं हम
देखो बत्तियां बुझाने में लगे हैं हम
जलती तीली देखकर भ्रमित न होना
देखो सीढ़ियां गिराने में लगे हैं हम
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सदानीरा अमृत-जल- नदियाँ
नदियों के अब नाम रह गये
नदियों के अब कहाँ धाम रह गये।
गंगा, यमुना हो या सरस्वती
बातों की ही बात रह गये।
कभी पूजा करते थे
नदी-नीर को
अब कहते हैं
गंदे नाले के ये धाम रह गये।
कृष्ण से जुड़ी कथाएँ
मन मोहती हैं
किन्तु जब देखें
यमुना का दूषित जल
तो मन में कहाँ वे भाव रह गये।
पहले मैली कर लेते
कचरा भर-भरकर,
फिर अरबों-खरबों की
साफ़-सफ़ाई पर करते
बात रह गये।
कहते-कहते दिल दुखता है
पर
सदानीरा अमृत-जल-नदियों के तो
अब बस नाम ही नाम रह गये।
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अपने कदम बढ़ाना
किसी के कदमों के छूटे निशान न कभी देखना
अपने कदम बढ़ाना अपनी राह आप ही देखना
शिखर तक पहुंचने के लिए बस चाहत ज़रूरी है
अपनी हिम्मत लेकर जायेगी शिखर तक देखना
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दिल आजमाने में लगे हैं
अब गुब्बारों में दिल सजाने लगे हैं
उनकी कीमत हम लगाने लगे हैं
पांच-सात रूपये में ले जाईये मनचाहे
फुलाईये, फोड़िए
या यूं ही समय बिताने में लगे हैं
मायूसे दिल की ओर तो कोई देखता ही नहीं
सोने चांदी के भाव अब लगाने लगे हैं
दिल कहां, दिलदार कहां अब
बातें करते बहुत
पर असल ज़िन्दगी में टांके लगाने लगे हैं
कुछ तुम दीजिए, कुछ हमसे लीजिए
पर न फोड़ना इस दिल को
न काटना इसे
असलियत निकल आयेगी
न खून बहेगा, न आस आहें भरेंगी
बस रोंआ-रोंआ बिखरेगा
सरकार ने प्लास्टिक बन्द कर दिया है
बस इतनी सी बात हम बताने में लगे हैं
समझ आया हो कुछ, तो ठीक
नहीं तो हम
कहीं और दिल आजमाने में लगे हैं।
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चेहरा गुलाल हुआ
यादों में उनकी चेहरा गुलाल हुआ
मन की बात कही नहीं, मलाल हुआ
राग बेसुरे हो गये, साज़ बजे नहीं
प्यार करना ही जी का जंजाल हुआ