मेरा घर जलाता कौन है

घर में भी अब नहीं सुरक्षित, विचलित मन को यह बात बताता कौन है,

भीड़-तन्त्र हावी हो रहा, कानून की तो बात यहं अब समझाता कौन है,

कौन है अपना, कौन पराया, कब क्या होगा, कब कौन मिटेगा, पता नहीं

यू तो सब अपने हैं, अपने-से लगते हैं, फिर मेरा घर जलाता कौन है।