कोशिश तो करते हैं

लिखने की

कोशिश तो करते हैं

पर क्या करें हे राम!

छुट्टी के दिन करने होते हैं

घर के बचे-खुचे कुछ काम।

धूप बुलाती आंगन में

ले ले, ले ले विटामिन डी

एक बजे तक सेंकते हैं

धूप जी-भरकर जी।

फिर करके भारी-भारी भोजन

लेते हैं लम्बी नींद जी।

संध्या समय

मंथन पढ़ते-पढ़ते ही

रह जाते हैं हम

जब तक सोंचे

कमेंट करें

आठ बज जाते हैं जी।

फिर भी

लिखने की

कोशिश तो करते हैं

पर क्या करें हे राम!